काश तुम्हें हम बता पाते की हम तुम्हारी दी हुई इस ज़िन्दगी मैं कितने खुश हैं ,जैसे मां और पिताजी ने इतना कुछ दिया है की मांगने की ज़रूरत हीं नहीं पड़ी ,और तुमने भी इतना कुछ दिया है की और क्या मांगूं तुमसे । कभी कधार मेरे हाथ तुम्हारे सामनेकुछ मांगने को बेबस हो जाते हैं लेकिन तुमने हीं दिल दिया है जिससे हम ख़ुद को समझा भी लेते हैं।
जैसे कभी पैसे नहीं होने पे घर का नम्बर घुमाने का मन करता है और अचानक से दिल इजाज़त नहीं देता है। वैसा हीं है सब कुछ मेरे दोस्त बस कुछ चाहने से पहले दिल का दामन थाम के मांगिए नहीं तो शायद आपको लगेगा आप अपने बुढे पिता से उनकी रोटी मांग रहे हैं ख़ुद का पेट पालने के लिए । और फिर ऊपर वाले से भी क्या मांगे हम, सब कुछ तो दिया हमें , अगर मांगें तो लगेगा की पास की बस्ती मैं रहने वाली फुलवातिया का बच्चा बिना दूध के मर गया ।
Friday, September 18, 2009
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