Saturday, September 19, 2009

अमृता

अमृता .......... शायद एक शब्द हो तुम्हारे लिए पर सबसे करीबी एहसास है मेरे लिए ............
शायद जिन्दगी में शुमार तुम्हारे लिए पर साँस है मेरे लिए .........
शायद पल भर का साथ हो तुम्हारे लिए पर तमाम जन्मों का आस है मेरे लिए ...............
बेसाख्ता उसका बोलना तुम्हें याद नां रहे शायद उसकी हर बात मगर ख़ास है मेरे लिए ........

Friday, September 18, 2009

मांगो नहीं अब तुम्हारा कुछ भी नहीं .

काश तुम्हें हम बता पाते की हम तुम्हारी दी हुई इस ज़िन्दगी मैं कितने खुश हैं ,जैसे मां और पिताजी ने इतना कुछ दिया है की मांगने की ज़रूरत हीं नहीं पड़ी ,और तुमने भी इतना कुछ दिया है की और क्या मांगूं तुमसे । कभी कधार मेरे हाथ तुम्हारे सामनेकुछ मांगने को बेबस हो जाते हैं लेकिन तुमने हीं दिल दिया है जिससे हम ख़ुद को समझा भी लेते हैं।
जैसे कभी पैसे नहीं होने पे घर का नम्बर घुमाने का मन करता है और अचानक से दिल इजाज़त नहीं देता है। वैसा हीं है सब कुछ मेरे दोस्त बस कुछ चाहने से पहले दिल का दामन थाम के मांगिए नहीं तो शायद आपको लगेगा आप अपने बुढे पिता से उनकी रोटी मांग रहे हैं ख़ुद का पेट पालने के लिए । और फिर ऊपर वाले से भी क्या मांगे हम, सब कुछ तो दिया हमें , अगर मांगें तो लगेगा की पास की बस्ती मैं रहने वाली फुलवातिया का बच्चा बिना दूध के मर गया ।

Wednesday, September 16, 2009

नयनों में तुम्हारे सारा आकाश सुरमई हो जाता है,
पंछी ,बादल सारे तुम्हारी आखों में बस जिंदगी पाते हैं ,हम क्या करें तुम हीं बताओ हम कैसे बादल बनके तुम्हारी आखों में बहा करें ?
तुम्हारा साथ ऐसा क्यों लगता है जैसे कोई शहद मधुमक्खी को लगता हो अपना ।

दिल की hasrat

दिल की हसरत यही रही कि हम दिल से तुमसे जुड़े रहें ,
मगर न जाने क्यूँ यह दिल हमेशा तुम्हारे दिल की आवाज़ से अनजान ही रहा।
वक्त आता भी रहा मगर फिर भी नां जाने क्यों मेरा दिल हमेशा तुम्हारे दिल का मेहमान ही रहा ,
काश हमें ये मालूम होता दिल कि आवाज़ से हीं साथ धड़कता है दिल तो शायद हम भी तुम्हारे रगों में बहने की कोशिश करते।