Tuesday, July 21, 2009
विदेशी सामान कितना खतरनाक
मुझे पहले लगता था की मैं एक देशभक्त हूँ लेकिन हाल हिन् मैं कुछ सुना मैंने जिससे लगा की मैं देशभक्त नहीं स्वार्थी हूँ जो चीजें खरीदते समय इस बात का धयान नहीं रखता की इससे देश की आर्थिक दशा पर क्या प्रभाव पड़ेगा , हमें अक्सर चीजें खरीदते समय कम से कम पहले अपने देश की बनी चीजों पर पहले नज़र डालनी होगी ,अब लक्स साबुन को हीं लीजिये १५ रुपये का एक आता है और लागत २ रुपए की होती है बाकी १० रुपए अमेरिका को चला जाता है ,जूतेबनने वाली कंपनी बाटा १०० रुपए खर्च करती है और ६०० सौ मैं बेचती है ५०० रुपए ब्रिटेन को जाती है ,लगभग आप समझ लीजिये ५ लाख करोड़ रुपए ५००० विदेशी कम्पनी अपना मुनाफा कमा के ले जाती है ,और हम १ डौलर के बदले ५० रुपए विदेशियों को दे देते हैं , मतलब हम ५० गुना सस्ता सामन बहार के देशों मैं अपना सामान बेच रहे हैं और ५० गुने महंगे सामान विदेशों से खरीद रहे हैं । तो हमें जागरूक होना होगा और देसी सामानों का उपयोग करना होगा तभी हम अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से आगे निकल पाएंगे नहीं तो हमारी आगे की पुस्तें कनाडा और अमेरिका मैं गुलामी करते नज़र आयेंगे और इधर हम विदेशी लोगों की गुलामी अपने हीं देश मैं करते नज़र आयेंगे .
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bhaiya bahut samay baad akal aayi ,par aayi kahan se ,kahin baba ram dev ka karykram to nahin dekhte usme hi aise gyanchakshu khulte hain ,bahut bahut dhanyavaad . mera blog hai tensionpoint.blogspot.com jarur dekhen.
ReplyDeleteAapki baat se main ittefaak rakhta hun......par desh ke business houses ko bhi sochna hoga ki uttan kwality ka maal banaayen
ReplyDeleteaapki baat kaafi had tak sahi hai lekin ham bhaartiyon ko baahar ke deshon se bahut kuchh seekhana hai.
ReplyDeleteham hain lakeer ke fakeer.
na to ham quality de sakte hain aur na hi aakarshak design taiyaar kar sakte hain. marketing to hamaari kharaab hai hi.
सही कहा आपने! किन्तु यदि हमें इन विदेशी कम्पनियों के वर्चस्व को समाप्त करना है तो उसके लिए गुणवत्ता की ओर विशेष ध्यान देना जरूरी है।जो कि हम लोग नहीं दे सकते,बस सिर्फ नकल जरूर कर सकते हैं।
ReplyDeleteनिष्कर्स पर पहुंचने के पहले कुछ और छानबीन और पडताल जरुरी हो सकती है। अगर आप जल्दी में न हों...
ReplyDeletesach kaha. narayan narayan
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteश्री ashabd & sharma जी हम क्वालिटी की चीजें बना सकते. किन्तु ये विदेशी कम्पनियां पहले तो अपनी लागत से भी कम सामान बेचती है. फिर जब सभी छोटी कम्पनियां बन्द हो जाती है. तब ये लागत कई गुना बढ़ा कर बेचती है. साथ किसी किसी सामान में तो इतनी घटिया क्वालिटी इन विदेशी कम्पनियां द्वारा अपनाई जाती है. यदि इनकी पूरी जांच की जायें. तो आश्चर्य होगा. इसलिये विदेशी मानसिकता छोड़ो सिर्फ तकनिकी सामानों में ही गुणवत्ता है.
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