कल सूरज उगते ही ढल जाएगा ।
भरी रोशनी मैं अंधेरों से भर जाएगा
सुबह की शक्ल मैं रात का अक्स होगा
रोशनी और तीरगी के बीचएक खुबसूरत सा रक्स होगा ।
हम तुम जिस अंधेरे से डरा करते हैं वो
कल पल भर के लिए दिन की हकीकत होगा ।
Tuesday, July 21, 2009
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